रायपुर, 26 मई 2025: छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री और जननायक स्वर्गीय अजीत जोगी की प्रतिमा को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के ज्योतिपुर चौक से रात के अंधेरे में हटाकर कचरे में फेंकने की घटना ने प्रदेशभर में गहरा आक्रोश फैला दिया है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और अजीत जोगी समर्थकों ने इसे छत्तीसगढ़ की अस्मिता और जनभावनाओं पर सीधा हमला बताया है।
जनता कांग्रेस ने की कड़ी निंदा
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने इस घृणित कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए 24 घंटे में प्रतिमा की पुनर्स्थापना, दोषियों की गिरफ्तारी और FIR दर्ज करने की मांग की है। साथ ही पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।
अमित जोगी का आमरण अनशन
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित जोगी ने घोषणा की है कि – “या तो जोगी जी की प्रतिमा लगेगी, या मेरी अर्थी उठेगी।” उन्होंने प्रतिमा की पुनर्स्थापना तक आमरण अनशन पर बैठने का ऐलान किया है। वहीं जोगी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर पुतला दहन और प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
युवा और छात्र मोर्चा भी सड़कों पर
- गौरव सिंह (प्रदेश अध्यक्ष, अजीत जोगी युवा मोर्चा) ने कहा: “यह छत्तीसगढ़ के युवाओं के स्वाभिमान पर हमला है। यदि प्रतिमा नहीं लगी तो युवा मोर्चा सड़कों पर संघर्ष करेगा।”
- अंकुर आजाद (प्रदेश अध्यक्ष, छात्र संगठन) ने कहा: “यह केवल मूर्ति का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़िया अस्मिता का अपमान है। हम छात्र संघ के कार्यकर्ता अमित जोगी जी के अनशन में साथ हैं।”
मांगपत्र में तीन मुख्य बिंदु:
- 24 घंटे में ज्योतिपुर चौक पर स्व. अजीत जोगी जी की प्रतिमा की पुनर्स्थापना।
- CCTV फुटेज के आधार पर दोषियों की पहचान, FIR और कड़ी सजा।
- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनभावनाओं का सम्मान और त्वरित न्याय।
अन्य वक्तव्यों में क्या कहा गया:
- सौरभ झा (प्रदेश संगठन महामंत्री): “जोगी जी को मिटाना नामुमकिन है। वह छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के प्रतीक हैं।”
- माखन ताम्रकार (रायपुर जिला अध्यक्ष): “यह घटना भाजपा सरकार की संकीर्ण मानसिकता दर्शाती है।”
कार्यक्रम में उपस्थिति:
इस विरोध कार्यक्रम में नवीन अग्रवाल, योगेंद्र देवांगन, अंशुल निहाल, नावेद समेत अनेक नेता व कार्यकर्ता शामिल हुए।
जनता कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि यह केवल एक प्रतिमा की लड़ाई नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा, अस्मिता और विचारधारा की लड़ाई है। यदि शासन ने शीघ्र कार्यवाही नहीं की, तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप ले सकता है।