CG Dastak | विशेष रिपोर्ट | उधमपुर/रायपुर
देश की सरहदों पर सिर्फ पुरुष ही नहीं, अब बेटियां भी दुश्मन को करारा जवाब दे रही हैं। हाल ही में सामने आया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसका बड़ा उदाहरण है, जिसमें दो महिला सैन्य अधिकारियों ने अद्वितीय साहस, रणनीति और नेतृत्व का प्रदर्शन कर देश को गर्वित किया।
कर्नल सोफिया कुरैशी: जांबाज़ कमांडर जिनकी योजना से ऑपरेशन सफल हुआ
ऑपरेशन के बाद कर्नल सोफिया ने अपने भाई मोहम्मद सरफराज को फोन किया और सिर्फ इतना कहा –“धमाका कैसा लगा? मिशन पूरा।”
उनके इस एक वाक्य ने दर्शा दिया कि यह सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि देश की अस्मिता का बदला था।
फौज परिवार की विरासत
- कर्नल सोफिया का परिवार फौजी परंपरा वाला है – दादा, पिता और पति – सभी भारतीय सेना में रह चुके हैं।
- साल 2017 में सिंध बॉर्डर पर महिला बटालियन की कमान संभालने वाली पहली महिला बनीं।
- 2016 में यूनाइटेड नेशन्स मिशन में भारत की टुकड़ी को लीड करने वाली पहली महिला अधिकारी।
- आजकल 15वीं कोर में मुख्य सैन्य अधिकारी (Chief Military Officer) की भूमिका में हैं।
ऑपरेशन में रहा धमाका, मगर रणनीति थी शांत
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सोफिया ने पूरी योजना बनाई थी –
शांत वातावरण में मिशन तैयार हुआ, लेकिन उसका अंजाम धमाकेदार रहा।
दुश्मन के ठिकानों को बिना किसी बड़ी क्षति के निशाना बनाया गया।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह: आकाश से बरसा कहर
इस मिशन में भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह की भी अहम भूमिका रही उन्होंने कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जैसे कठिन इलाकों में एयर स्ट्राइक और हवाई सपोर्ट दिया। उनकी टीम ने ऊंचाई वाले दुर्गम क्षेत्रों में सटीक हमलों के जरिए मिशन को सफलता दिलाई।
माता-पिता का गर्व
कर्नल सोफिया के माता-पिता ने कहा – “बेटी ने देश के दुश्मनों को जवाब दे दिया। बहनों-माताओं के सिंदूर का बदला ले लिया।”
CG Dastak का सलाम
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हिस्सा लेने वाली इन बहादुर बेटियों को CG Dastak का शत-शत नमन। उन्होंने दिखा दिया कि भारत की बेटियां सिर्फ सरहद नहीं संभालतीं, बल्कि दुश्मनों के इरादे भी तोड़ देती हैं।