बेबस पिता की दर्दनाक दास्तान: डेढ़ साल की मासूम को छोड़ा लावारिस, साथ में लिखी चिट्ठी ने झकझोर दिया दिल

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रायपुर (धरसींवा)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को सोचने पर मजबूर कर दिया है। गरीबी, बेबसी और टूटे हुए सपनों के बीच एक पिता को ऐसा कदम उठाना पड़ा, जिसे सुनकर हर आंख नम हो जाएगी। खमतराई थाना क्षेत्र के व्यास तालाब (बिरगांव) में गुरुवार को एक छोटा हाथी वाहन में डेढ़ साल की बच्ची लावारिस हालत में मिली, जिसके साथ एक दर्दभरी चिट्ठी भी पाई गई।

मुझे माफ कर देना, जीना नहीं चाहता…” — चिट्ठी में छलका दर्द

इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि सोशल मीडिया पर इसे पढ़ने वाले हजारों लोगों को भावुक कर दिया है। बच्ची के पास मिली दो पन्नों की चिट्ठी में एक असहाय पिता की बेबसी, लाचारी और समाज से टूटी हुई उम्मीदें दर्ज थीं।

चिट्ठी में लिखा था:

“सॉरी, मुझे माफ कर देना। इस दुनिया में जीना नहीं चाहता हूं। मेरा कोई नहीं है। मेरे लिए रहने के लिए भी जगह नहीं है, इसीलिए बच्चा को छोड़कर जा रहा हूं। अपना ना आए तो कोई अपना लेना। इस बच्चे को मैं अनाथ बना गया, इसलिए इस दुनिया में जीना नहीं चाहता हूं। ठीक है। कोई भी बच्चे को अपना लीजिएगा। गुड बाय।”

दूसरे पन्ने में लिखा था:

“कोई मेरे बच्चे को अपना लेना, मरने जा रहा हूं मैं। जीना नहीं चाहता हूं। ठीक है, गुड बाय।”

बच्ची सुरक्षित, पुलिस कर रही जांच

खमतराई पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची को तत्काल अपनी सुरक्षा में लिया। बच्ची फिलहाल पूरी तरह से सुरक्षित है और उसके अस्थायी पालन-पोषण की व्यवस्था कर दी गई है। पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है और उस पिता की तलाश जारी है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि आखिर उसे किस मजबूरी ने इस कदर तोड़ दिया।

समाज से सवाल

इस घटना ने समाज और शासन-प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या आज भी हमारे आसपास ऐसी परिस्थितियाँ हैं जहाँ एक पिता को अपनी मासूम बेटी को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है? क्या हमारे समाज में अब भी मदद की गुहार अनसुनी रह जाती है?

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