रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने प्रदेश की न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी, सुरक्षित और त्वरित बनाने के उद्देश्य से एक अहम निर्देश जारी किया है। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर अभियुक्तों एवं साक्षियों की अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (श्रव्य-दृश्य इलेक्ट्रॉनिक साधन) के माध्यम से उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है।
▪️न्यायालयों में लंबित मामलों के निपटारे की दिशा में बड़ा कदम▪️
मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा कि अक्सर देखा गया है कि न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में अभियुक्तों एवं साक्षियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित कराया जाता है। इससे न केवल जेल से आरोपियों की पेशी में समय और बल की खपत होती है, बल्कि सुरक्षा संबंधी जोखिम भी बढ़ते हैं। वहीं चिकित्सक, बैंककर्मी और अन्य लोक सेवकों की व्यक्तिगत उपस्थिति से उनका कार्य भी बाधित होता है और शासन को यात्रा व्यय का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है।
नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के अनुरूप निर्देश मुख्य सचिव ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में निर्धारित प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि शासन स्तर पर अब यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि अभियुक्तों और साक्षियों की परीक्षा/पेशी यथासंभव ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से की जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि यह बिंदु जिला एवं सत्र न्यायालय की अध्यक्षता में होने वाली मॉनिटरिंग समिति की बैठक के एजेंडा में शामिल किया जाए और इस पर सुनिश्चित कार्यवाही की जाए।