सैल्यूट | नमन सिक्किम में देश के लिए शहीद हुए अयोध्या के वीर लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी — “देश पहले, फिर सैनिक, और सबसे अंत में स्वयं”

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CG Dastak | राष्ट्रीय समाचार

सिक्किम की बर्फ से ढकी घाटियों में एक ऐसा क्षण दर्ज हो गया जिसने पूरे देश को गर्व और दुख से भर दिया। 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के मजहवां गड्डोपुर गांव के निवासी थे, वीरगति को प्राप्त हो गए। वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे और अभी पिछले वर्ष ही 14 दिसंबर 2024 को भारतीय सेना में कमीशन हुए थे।

गुरुवार सुबह, वे सिक्किम स्काउट्स की 1st बटालियन की एक रूट-क्लियरिंग टीम का नेतृत्व कर रहे थे। टीम का कार्य था बिछू से चू जंक्शन तक सैन्य टुकड़ियों के लिए सुरक्षित मार्ग तैयार करना।

करीब 11 बजे, जब दल एक कमजोर लकड़ी के पुल से गुजर रहा था, तभी सेना के जवान एवी स्टीफन सुब्बा का पैर फिसल गया और वे बर्फीली तेज़ धार में बहने लगे।

लेफ्टिनेंट शशांक ने बिना एक पल गंवाए नदी में छलांग लगा दी। उनके साथ नायक पुकार कटेल भी मदद के लिए कूद पड़े। दोनों ने मिलकर जवान को बचा लिया।

नायक पुकार कटेल घायल हुए, लेकिन सुरक्षित हैं।

दुर्भाग्यवश, लेफ्टिनेंट शशांक नदी की तेज़ धार से बाहर नहीं निकल सके। उनका शरीर 800 मीटर दूर जाकर मिला — शांत, स्थिर… लेकिन पूरे देश को झकझोर देने वाला।

शनिवार को अयोध्या में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

पूर्वी कमान के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आर.सी. तिवारी और सूर्य कमान ने उन्हें एक आदर्श सैन्य अधिकारी बताया जो भारतीय सैन्य अकादमी का मूलमंत्र “चेटवुड सिद्धांत” पूरी तरह जीते थे —

“देश पहले, फिर अपने सैनिक… और सबसे अंत में स्वयं।”

लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने जो किया, वह सिर्फ वीरता नहीं, बल्कि इंसानियत की सबसे ऊँची मिसाल है।

एक असली हीरो… जो किसी की ज़िंदगी बचाने के लिए अपनी जान भी न्योछावर कर गया।

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