सरायपाली : स्कूल में बच्चों से कराई गई सफाई, ग्रामीणों ने जताया कड़ा विरोध

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सरायपाली : स्कूल में बच्चों से कराई गई सफाई, ग्रामीणों ने जताया कड़ा विरोध – बीईओ ने कहा, “बच्चों से काम कराना गलत” जाँच टीम भेजा जा रहा है

महासमुंद। सरायपाली ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत कनकेबा का शासकीय स्कूल इन दिनों विवादों में घिर गया है। शुक्रवार को यहां का नजारा देखकर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। पढ़ाई करने आए छोटे-छोटे बच्चों से ही कक्षा में रखे टेबल, कुर्सी और बेंच को बाहर निकलवाकर सफाई कराई गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह काम स्कूल में पदस्थ शिक्षकों के कहने पर कराया गया।

कनकेबा के पूर्व सरपंच बसंत पटेल जीतेन्द्र पटेल सहित युवाओं और ग्रामीणों का कहना है कि जब बच्चे शिक्षा ग्रहण करने स्कूल आते हैं, तो उनसे पढ़ाई की जगह सफाई करवाना न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। कई ग्रामीणों ने बताया कि घटना के समय बच्चे पढ़ाई छोड़कर फर्नीचर बाहर निकाल रहे थे और झाड़ू से सफाई कर रहे थे। इस पर अभिभावकों और गांव के युवाओं ने आपत्ति जताई। उनका कहना है कि बच्चों का समय पढ़ाई में लगना चाहिए, न कि सफाई जैसे कामों में।

इस मामले को लेकर गाँव में दिनभर चर्चा रही। अभिभावकों ने सवाल उठाया कि आखिर किसके आदेश पर शिक्षकों ने बच्चों से यह काम करवाया। उनका कहना है कि यदि स्वीपर कर्मचारी हड़ताल पर हैं, तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन और शिक्षा विभाग की बनती है, न कि बच्चों पर बोझ डालने की।

इस मामले पर जब ब्लॉक शिक्षा मांझी अधिकारी (बीईओ) से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चों से इस तरह का कार्य करवाना गलत है। उन्होंने कहा कि फिलहाल स्वीपर कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके कारण कई स्कूलों में साफ-सफाई की समस्या खड़ी हो गई है। लेकिन बच्चों से जबरन सफाई करवाना नियमों के खिलाफ है। बीईओ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में अभी किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन शिकायत मिलते ही जांच के लिए टीम भेजी जा रही है।

बीईओ ने भरोसा दिलाया कि जांच पूरी होने के बाद जो भी शिक्षक या कर्मचारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी

ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल शिक्षा का मंदिर है, यहां बच्चों को पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि बच्चों से जबरन काम करवाया जाएगा तो उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी और वे स्कूल आने से कतराने भी लग सकते हैं। यही नहीं, इस तरह की घटनाएं शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सीधा असर डालती हैं।

इस घटना के बाद अब स्थानीय लोग प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता। यदि समय रहते इस तरह की गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई गई, तो ग्रामीण बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे

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