बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 33 सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों के अवकाश नगदीकरण भुगतान में देरी को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) बिलासपुर रजनेश सिंह को अवमानना (Contempt of Court) का नोटिस जारी किया है। जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की सिंगल बेंच ने आदेश की अवहेलना मानते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
क्या है मामला?
पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए सहायक उप निरीक्षक बैजनाथ राय, निरीक्षक रघुनंदन शर्मा, सहायक उप निरीक्षक हनुमान प्रसाद मिश्रा सहित कुल 33 पुलिसकर्मियों ने, मध्यप्रदेश राज्य की तरह 300 दिन के अवकाश नगदीकरण का लाभ देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं धीरेन्द्र पांडेय और विजय मिश्रा ने कोर्ट में दलील दी कि, मध्यप्रदेश में यह सुविधा उपलब्ध है तो छत्तीसगढ़ में भी समान रूप से इसे लागू किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट का आदेश और SSP की लापरवाही
हाईकोर्ट ने 29 जनवरी 2025 को इस मामले में सुनवाई करते हुए SSP बिलासपुर को निर्देशित किया था कि वे सुप्रीम कोर्ट के फगुआ राम केस के आदेशों के तहत 90 दिनों के भीतर याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन का निराकरण कर, उन्हें अवकाश नगदीकरण की राशि का भुगतान करें।
लेकिन कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद न तो निराकरण किया गया और न ही भुगतान, जिससे नाराज याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी।
कोर्ट की सख्ती
सुनवाई के बाद, जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की बेंच ने प्रथम दृष्टया आदेश की अवहेलना मानी और SSP बिलासपुर को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
इस मामले ने शासन-प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है क्योंकि यह निर्णय अन्य लंबित मामलों के लिए भी नज़ीर बन सकता है।
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