बस्तर में विकास की नई राह: 49,000 करोड़ की सिंचाई और पनबिजली परियोजनाएं शुरू करने की योजना, मुख्यमंत्री ने मांगा राष्ट्रीय दर्जा

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रायपुर, 9 जून 2025।

छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए एक ऐतिहासिक और बहुप्रतीक्षित योजना का प्रस्ताव रखा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में राज्य सरकार ने ₹49,000 करोड़ की सिंचाई और पनबिजली परियोजनाओं को शुरू करने की तैयारी की है। इसमें बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना और इंद्रावती-महानदी नदी जोड़ परियोजना शामिल हैं।

मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन दोनों परियोजनाओं को ‘राष्ट्रीय परियोजना‘ घोषित करने का अनुरोध किया है, ताकि केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त हो सके और परियोजनाओं को सुचारू रूप से लागू किया जा सके।

बोधघाट परियोजना: विकास और ऊर्जा का केंद्र बनेगा बस्तर

₹29,000 करोड़ की लागत वाली बोधघाट बांध परियोजना से 96.27 TMC पानी का उपयोग कर लगभग 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।

इस परियोजना से 125 मेगावाट बिजली उत्पादन, पीने और औद्योगिक उपयोग के लिए जल आपूर्ति और सालाना 4,824 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

लगभग 269 गांवों को सीधा लाभ होगा, हालांकि इसमें 10,440 हेक्टेयर भूमि जलमग्न होगी और 28 गांव पूर्णतः व 14 आंशिक रूप से प्रभावित होंगे।

इंद्रावती-महानदी नदी जोड़ परियोजना: जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन

  • ₹20,000 करोड़ की इस परियोजना के तहत इंद्रावती और महानदी नदियों को जोड़ने की योजना है।
  • यह योजना मुंगेली, राजनांदगांव, कवर्धा, कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में लागू की जाएगी।
  • इससे सूखा प्रभावित इलाकों को स्थायी जल स्रोत उपलब्ध कराया जा सकेगा और कृषि उत्पादकता में भी वृद्धि होगी।

नक्सली प्रभाव के बावजूद विकास की उम्मीद

बोधघाट परियोजना का विचार 45 साल पुराना है, लेकिन नक्सली गतिविधियों के चलते इसका कार्यान्वयन अब तक संभव नहीं हो सका था। अब सरकार ने संकल्प लिया है कि इन अड़चनों के बावजूद बस्तर में विकास, रोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है,

“बस्तर जैसे पिछड़े और संघर्षरत क्षेत्र के लिए इन परियोजनाओं का राष्ट्रीय दर्जा बेहद आवश्यक है। राज्य अपने सीमित संसाधनों में इनका क्रियान्वयन नहीं कर सकता।”

क्या कहता है आंकड़ा?

  • छत्तीसगढ़ में 8.15 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है, लेकिन अभी केवल 1.36 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।
  • गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने 301 TMC पानी छत्तीसगढ़ को आवंटित किया था, लेकिन आज तक केवल 25 TMC का उपयोग हो रहा है।

निष्कर्ष: बस्तर में नया सवेरा

इन परियोजनाओं से न केवल सिंचाई और बिज की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार, स्वच्छ जल आपूर्ति, मछली पालन में वृद्धि और बस्तर को मुख्यधारा से जोड़ने का अवसर मिलेगा। हालांकि चुनौतियां बड़ी हैं, लेकिन राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह बस्तर के भविष्य का सवाल है — और इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

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