पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड आतंकी मूसा ढेर, ऑपरेशन ‘महादेव’ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के डाचीगाम के घने जंगलों में भारतीय सेना और सुरक्षाबलों ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देते हुए पहलगाम और सोनमर्ग हमलों के मास्टरमाइंड आतंकी सुलेमान ऊर्फ मूसा समेत लश्कर-ए-तैयबा के तीन पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया है। यह जॉइंट ऑपरेशन सेना ने “ऑपरेशन महादेव” नाम से अंजाम दिया।

तीन आतंकी मारे गए, मूसा था सबसे खतरनाक

इस ऑपरेशन में मारे गए तीन आतंकियों की पहचान सुलेमान ऊर्फ मूसा, यासिर, और हमजा के रूप में हुई है। इनमें सुलेमान ऊर्फ मूसा लश्कर का बड़ा और बेहद खतरनाक आतंकी था, जो 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले और सोनमर्ग हमले का मास्टरमाइंड था।

कैसे मिला आतंकियों का सुराग?

22 अप्रैल को पहलगाम हमले में आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किया गया एक चीनी फोन लंबे समय तक बंद रहा और 11 जुलाई को पहली बार फिर से एक्टिव हुआ। सुरक्षाबलों ने फोन की लोकेशन को ट्रेस किया, लेकिन इसके बाद वह फिर बंद हो गया। बाद में 26 जुलाई को दोबारा फोन ऑन हुआ, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन की योजना बनाना शुरू कर दिया।

ऑपरेशन महादेव की शुरुआत

भारतीय सेना की 24 राष्ट्रीय राइफल्स (24 RR), 4 पैराशूट रेजिमेंट (4 Para SF), जम्मू-कश्मीर पुलिस की SOG और CRPF ने मिलकर ऑपरेशन महादेव की शुरुआत की। 28 जुलाई की सुबह डाचीगाम नेशनल पार्क के नजदीक लिडवास और माउंट महादेव के बीच आतंकियों की लोकेशन ट्रेस हुई।

आतंकियों को घेरा गया, मुठभेड़ में मारे गए

28 जुलाई को सुबह लगभग 12:37 बजे सेना की चिनार कोर ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि लिडवास इलाके में मुठभेड़ शुरू हो चुकी है। आतंकियों को घेर लिया गया था। करीब 2 बजे तक तीन आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई। इन आतंकियों ने सरेंडर करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया।

संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा, इधर सेना मैदान में डटी रही

दिल्ली में संसद के मानसून सत्र में जब ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की तैयारी हो रही थी, ठीक उसी समय सेना ऑपरेशन महादेव में आतंकियों से दो-दो हाथ कर रही थी। चर्चा भले ही राजनीतिक हंगामे की भेंट चढ़ गई, लेकिन सेना ने बिना रुके मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद

एनकाउंटर साइट से AK-47 राइफल, M4 कार्बाइन, हैंड ग्रेनेड, और अन्य भारी गोला-बारूद बरामद किया गया है। सेना को जंगल में आतंकियों के छिपने की एक अस्थायी जगह भी मिली है।

ऑपरेशन महादेव अब भी जारी

सेना की ओर से बताया गया कि इलाके में सर्च और कॉम्बिंग ऑपरेशन अभी भी जारी है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कहीं कोई और आतंकी या उनके मददगार (OGWs) आसपास छिपे न हों। साथ ही मिलिट्री इंटेलिजेंस और सरेंडर किए गए OGWs की मदद से मारे गए आतंकियों की गतिविधियों और नेटवर्क की जानकारी जुटाई जा रही है।

निष्कर्ष:

ऑपरेशन महादेव भारतीय सेना और सुरक्षाबलों की एक बड़ी सफलता है। यह न केवल हाल ही में हुए हमलों के जिम्मेदार आतंकियों का सफाया है, बल्कि इससे यह भी संदेश गया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त और निर्णायक कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा। आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान को एक बार फिर कड़ा जवाब मिला है।

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