देश में उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां तेज, पी.सी. मोदी बने रिटर्निंग ऑफिसर

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धनखड़ के इस्तीफे के बाद उठे सियासी सवाल, विपक्ष ने पी.सी. मोदी की नियुक्ति पर जताई आपत्ति

नई दिल्ली – देश के नए उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा देने के बाद चुनाव आयोग ने राज्यसभा महासचिव पी.सी. मोदी को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया है। इस फैसले ने जहां चुनावी प्रक्रिया को गति दी है, वहीं विपक्ष ने पी.सी. मोदी की नियुक्ति पर कड़े सवाल उठाए हैं।

📌 कौन हैं पी.सी. मोदी?

पी.सी. मोदी भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के 1982 बैच के अधिकारी हैं। वे पूर्व में CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) के अध्यक्ष रह चुके हैं। नवंबर 2021 में उन्हें राज्यसभा महासचिव बनाया गया था। इससे पहले के महासचिव डॉ. पी. पी. रामाचर्युलु को महज दो महीने बाद हटा दिया गया था, जिस पर भी विपक्ष ने आपत्ति जताई थी।

🗣️ विपक्ष ने जताई नाराजगी

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश ने मोदी की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह पद कानून के जानकारों को दिया जाता है, जबकि मोदी IRS बैकग्राउंड से हैं। TMC और RJD समेत विपक्षी दलों ने भी नियुक्ति को “संदिग्ध” बताया है। खड़गे ने कहा – “सत्र शुरू होने से ठीक पहले यह बदलाव चौंकाने वाला है।”

⚠️ मोदी के खिलाफ आरोप

पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त की एक शिकायत में पी.सी. मोदी पर संवेदनशील मामलों को दबाने के आरोप लगे थे। उन पर एक विपक्षी नेता के खिलाफ “सफल तलाशी” का हवाला देकर पद सुरक्षित रखने की बात कही गई थी।

📋 उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66(1) के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य गुप्त मतदान और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से करते हैं। रिटर्निंग ऑफिसर चुनावी अधिसूचना, नामांकन, जांच और मतगणना जैसी समस्त प्रक्रिया का संचालन करता है।

🔍 धनखड़ का इस्तीफा और संभावित कारण

21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। लेकिन राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि उनके इस्तीफे के पीछे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करना मुख्य कारण रहा। विपक्ष की पहल से सरकार असहज हुई, और उसी शाम इस्तीफा दे दिया गया।

धनखड़ का कार्यकाल अक्सर विवादों में रहा। उन पर विपक्ष ने सरकार के पक्ष में पक्षपात का आरोप लगाया था। दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था जिसे खारिज कर दिया गया था।

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