रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी के बाद राज्य से लेकर संसद तक सियासी हलचल मच गई है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्मांतरण से जुड़ा गंभीर मामला बताया है, जबकि राहुल गांधी ने इसे ‘गुंडा राज’ और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का उदाहरण करार दिया है।
क्या है पूरा मामला?
घटना 25 जुलाई 2025 की है। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल की जिला संयोजिका ज्योति शर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने दो ननों और एक युवक को उस समय रोका जब वे नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी लड़कियों को ट्रेन में लेकर आगरा जा रहे थे। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के उद्देश्य से ले जाया जा रहा था।
बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने स्टेशन पर नारेबाजी करते हुए तीनों को जीआरपी के हवाले कर दिया। इसके बाद भिलाई-3 के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में मामला दर्ज कर लिया गया। धर्मस्वातंत्र्य अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया गया और सभी आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
सीएम विष्णुदेव साय की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पूरे मामले पर स्पष्ट प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि:
“नन पकड़े जाने की वास्तविकता यह है कि नारायणपुर जिले की बेटियों को नौकरी का लालच देकर आगरा ले जाया जा रहा था। यह प्रलोभन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला है। इसकी जांच जारी है और कानून अपने हिसाब से काम करेगा।”
उन्होंने आगे कहा:
“छत्तीसगढ़ शांति का टापू है, यहां सभी धर्मों के लोग भाईचारे से रहते हैं। हमारी सरकार धर्मांतरण का पूरी तरह विरोध करती है। कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वह इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और ऐसी घटनाओं को राजनीतिक रंग देना दुर्भाग्यपूर्ण है।
राहुल गांधी ने भाजपा पर साधा निशाना
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस घटना को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों को उनकी आस्था के कारण निशाना बनाकर जेल भेज दिया गया – यह न्याय नहीं, बल्कि भाजपा-आरएसएस का गुंडा राज है।”
उन्होंने आगे लिखा:
“यह एक खतरनाक पैटर्न को दर्शाता है – इस शासन में अल्पसंख्यकों का व्यवस्थित उत्पीड़न हो रहा है। धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है। हम उनकी तत्काल रिहाई और इस अन्याय के लिए जवाबदेही की मांग करते हैं।”
संसद तक गूंजा मामला, UDF सांसदों का विरोध प्रदर्शन
इस मुद्दे की गूंज संसद भवन तक पहुंच गई है। 28 जुलाई को UDF सांसदों ने संसद भवन के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और ननों की गिरफ्तारी को अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की शर्मनाक मिसाल बताया।
AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी सोशल मीडिया पर कहा:
“बिना किसी अपराध के ननों को हिंसक भीड़ द्वारा निशाना बनाया गया। भाजपा-आरएसएस तंत्र सभी अल्पसंख्यकों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है। छत्तीसगढ़ में बजरंग दल और पुलिस की यह जुगलबंदी उनकी असली मंशा को उजागर करती है।”
जांच जारी, मामला न्यायिक प्रक्रिया में दुर्ग जीआरपी द्वारा फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। आरोपियों पर छत्तीसगढ़ धर्मांतरण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है