छत्तीसगढ़ के जंगलों में फिर गूंजेगी बाघों की दहाड़: चार साल बाद शुरू होगी नई गणना, इंद्रावती और कांगेर में लगेगा ट्रैप कैमरा

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रायपुर, 9 जून 2025।

छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक बार फिर से बाघों की गणना की तैयारी तेज़ हो गई है। चार साल बाद, राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली बाघ जनगणना के तहत बस्तर क्षेत्र के इंद्रावती टाइगर रिजर्व और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे।

इससे पहले साल 2022 की गणना में राज्य में कुल 17 बाघ दर्ज किए गए थे, लेकिन वन विभाग को उम्मीद है कि इस बार संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

नक्सल प्रभावित इलाकों में पहली बार कैमरा ट्रैप योजना लागू

पिछले वर्षों में नक्सल आतंक के कारण बस्तर जैसे क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाना संभव नहीं हो सका था। हालांकि इस बार सुरक्षा व्यवस्था और जमीनी हालात बेहतर होने के चलते योजना को अंजाम दिया जा रहा है।

वन विभाग और WII (वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) के दिशानिर्देशों के तहत यह गणना की जाएगी। इसमें फील्ड स्टाफ, ट्रैकिंग टीम, और डेटा विश्लेषण विशेषज्ञ शामिल होंगे।

शिकार की उपलब्धता बढ़ाने की रणनीति: छोड़े जाएंगे चीतल हिरण

राज्य सरकार और वन विभाग ने मांसाहारी वन्यजीवों के शिकार की उपलब्धता बढ़ाने के लिए नई योजना बनाई है। इसके तहत:

  • उदंती-सीतांदी टाइगर रिजर्व से 100 चीतल जंगल में छोड़े जाएंगे।
  • गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में भी मैत्रीबाग चिड़ियाघर, भिलाई से चीतल भेजने पर विचार हो रहा है।

यह कदम बाघ और तेंदुआ जैसे शिकारी जानवरों को प्राकृतिक आहार श्रृंखला उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

कैसे होती है बाघों की गणना?

हर चार साल में देशभर में बाघों की गणना की जाती है। इसके लिए:

  • पगचिह्न, मूत्र और मल के नमूने,
  • ट्रैप कैमरों से फोटोग्राफिक साक्ष्य,
  • और वन क्षेत्र में सघन गश्त के आधार पर बाघों की उपस्थिति दर्ज की जाती है।

संभावनाएं और चुनौतियां

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार:

“पिछले चार वर्षों में बाघों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है, लेकिन वास्तविक आंकड़ा केवल वैज्ञानिक गणना के बाद ही सामने आएगा।”

हालांकि, जंगल की दुर्गम परिस्थितियां, नक्सली खतरे, और मानव हस्तक्षेप जैसी चुनौतियां अब भी मौजूद हैं। लेकिन विभाग आश्वस्त है कि इस बार गणना सफलतापूर्वक पूरी होगी।

निष्कर्ष: संरक्षण से विकास तक की ओर

  1. छत्तीसगढ़ में बाघों की गणना केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण, जैव विविधता, और इको-टूरिज्म के विकास की दिशा में एक ठोस कदम है। यदि इस बार आंकड़े सकारात्मक आते हैं, तो यह राज्य के लिए पर्यावरणीय संतुलन और अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण रैंकिंग में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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