कागजात सुधारने थक चुका किसान रजिस्ट्री ऑफिस में जहर पीने पहुंचा, बालोद जिले में राजस्व विभाग की लापरवाही फिर उजागर

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बालोद, गुंडरदेही – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा राजस्व विभाग को सख्त चेतावनी दिए जाने के बावजूद, बालोद जिले में विभागीय लापरवाही का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। गुंडरदेही तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय में आज उस समय हड़कंप मच गया जब एक किसान ने जमीन के दस्तावेजों में त्रुटि सुधारने में हो रही टालमटोल से परेशान होकर जहरीले पदार्थ का सेवन करने की कोशिश की।

कई बार निवेदन, फिर भी नहीं हुआ सुधार

घटना ग्राम भुसरेंगा (बेलौदी) निवासी लगभग 50 वर्षीय किसान रामकुमार से जुड़ी है, जो कई दिनों से अपनी पत्नी की भूमि के दस्तावेजों में हुई गलती को ठीक करवाने के लिए रजिस्ट्री कार्यालय के चक्कर काट रहा था। परंतु, अधिकारियों की बेरुखी और अनदेखी से हताश होकर वह आज अपने साथ जहर लेकर कार्यालय पहुंचा।

ऑफिस में ही पीने की कोशिश, अस्पताल में भर्ती

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही रामकुमार को आज फिर से बहानेबाजी का सामना करना पड़ा, उसने कार्यालय में ही जहरीले पदार्थ का सेवन करने की कोशिश की। हालांकि, जहर मुंह में डालने से पहले कुछ मात्रा उसकी आंख में चली गई, जिससे वह मौके पर ही बेहोश हो गया। तुरंत उसे गुंडरदेही अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।

पुलिस मौके पर, जांच जारी

घटना की सूचना मिलते ही गुंडरदेही पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक तौर पर यह प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर मामला प्रतीत हो रहा है।

मुख्यमंत्री की चेतावनी के बावजूद लापरवाही जारी

गौरतलब है कि दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राजस्व विभाग को कड़ी चेतावनी दी थी। रायगढ़ में आयोजित ‘सुशासन तिहार’ की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि राजस्व अभिलेखों में गलती के लिए संबंधित अधिकारी या कर्मचारी जिम्मेदार होंगे। उन्होंने चेताया था कि अगर किसी अधिकारी के लॉगिन से त्रुटिपूर्ण प्रविष्टि की जाती है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा था,

“लोगों की जमीन, खेती और दस्तावेजों में गलती होने से जनता का प्रशासन पर से भरोसा न टूटे, इसके लिए जरूरी है कि राजस्व प्रणाली को जवाबदेह और पारदर्शी बनाया जाए।”

प्रशासन की कार्यशैली पर उठे सवाल

यह घटना न केवल एक किसान की पीड़ा को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि राजस्व विभाग में सुधारात्मक निर्देशों के बावजूद जमीनी स्तर पर अमल नहीं हो रहा है। अब देखना यह है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।

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