कांकेर (छत्तीसगढ़), 26 जुलाई 2025 — जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के चलते जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। नदी-नालों के उफान पर आने से कई गांवों का सड़क संपर्क टूट गया है। इसी बीच शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसे में 70 वर्षीय बुज़ुर्ग बालाराम की इलाज के अभाव में रास्ते में ही मौत हो गई। यह घटना सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों की जमीनी हकीकत को उजागर करती है।
बीमार बुज़ुर्ग को खाट पर लेकर निकले थे परिजन
आलपरस गांव के निवासी बालाराम बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। शुक्रवार सुबह उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, तो परिजनों ने उन्हें खाट पर लादकर किसी तरह नजदीकी कोयलीबेड़ा अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की। लेकिन चिलपरस के पास बहते हुए काकन नाले और अधूरे पुल ने उनके रास्ते में दीवार खड़ी कर दी।
अधूरा पुल बना मौत का कारण
काकन नाला पर पुल निर्माण वर्षों से अधर में लटका हुआ है। पुल न बनने के चलते हर साल बारिश में अस्थायी डायवर्सन बनाया जाता है, जो इस बार भी तेज बहाव में बह चुका था। परिजन बीमार बालाराम को लेकर नाले को पार नहीं कर सके और समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
प्रशासनिक लापरवाही पर ग्रामीणों में गुस्सा
घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि काकन नाला पर वर्षों से पुल अधूरा पड़ा है और हर साल बरसात में यह मार्ग जानलेवा साबित होता है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन को बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
ग्रामीणों के तीखे सवाल
- काकन नाले का पुल अब तक अधूरा क्यों है?
- डायवर्सन की समय रहते मरम्मत क्यों नहीं की गई?
- दूरस्थ गांवों तक एंबुलेंस और मेडिकल टीम क्यों नहीं पहुँचती?
स्थायी समाधान की मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि इस दर्दनाक घटना की ज़िम्मेदारी तय की जाए और जल्द से जल्द पुल का निर्माण कार्य पूरा कराया जाए। उनका कहना है कि जब तक यह पुल तैयार नहीं होता, तब तक हर बारिश में किसी न किसी की जान ऐसे ही जाती रहेगी।
विकास के खोखले दावों पर फिर उठा सवाल
यह घटना प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के उन दावों पर सवाल उठाती है, जिनमें वे आदिवासी और सुदूर अंचलों के विकास की बात करते हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि आज भी एक बीमार इंसान को इलाज के लिए खाट पर लादकर ले जाना पड़ता है, और रास्ते में ही दम तोड़ना पड़ता है।
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