रायपुर, 28 जुलाई 2025 – राजधानी रायपुर की साइबर पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अंतर्राज्यीय साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, गोरखपुर और देवरिया जिले से कुल 5 शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, जो खुद को दिल्ली साइबर सेल और दिल्ली पुलिस का अफसर बताकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट में लेते थे और मोटी रकम ऐंठते थे। इस गिरोह ने रायपुर की एक महिला से करीब 2 करोड़ 83 लाख रुपये की ठगी की।
कैसे हुई ठगी की शुरुआत:
रायपुर विधानसभा थाना क्षेत्र की रहने वाली सोनिया हंसपाल को अज्ञात नंबरों से कॉल आया, जिसमें खुद को दिल्ली साइबर सेल और पुलिस अधिकारी बताया गया। कॉलर ने झूठा आरोप लगाया कि महिला के बैंक खाते मनी लॉन्ड्रिंग और अंतर्राष्ट्रीय साइबर अपराधों में इस्तेमाल हो रहे हैं। महिला को डराकर व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर लाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ में लिया गया और लगातार संपर्क में बने रहते हुए अलग-अलग खातों में 2.83 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
FIR के बाद शुरू हुआ ऑपरेशन ‘साइबर शील्ड’:
महिला की रिपोर्ट के बाद रायपुर साइबर क्राइम थाना और एंटी क्राइम यूनिट की संयुक्त टीम ने FIR दर्ज कर आरोपियों की खोजबीन शुरू की। तकनीकी विश्लेषण, बैंक खातों की जांच, मोबाइल ट्रैकिंग और सर्विलांस के बाद पुलिस टीम ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, लखनऊ और देवरिया में कैंप लगाकर सटीक कार्रवाई की।
गिरफ्तार किए गए आरोपी:
1. आकाश साहू (24) – गोरखपुर निवासी
2. शेर बहादुर सिंह उर्फ मोनू (29) – गोरखपुर निवासी
3. अनूप मिश्रा (48) – लखनऊ निवासी
4. नवीन मिश्रा (41) – लखनऊ निवासी
5. आनंद कुमार सिंह (35) – देवरिया निवासी
पुलिस ने इनके पास से दर्जनों फर्जी बैंक खाता, डेबिट कार्ड, चेक बुक, मोबाइल फोन और कई फर्जी कंपनियों से जुड़े दस्तावेज बरामद किए हैं।
फर्जी कंपनियों के जरिए की गई मनी लॉन्ड्रिंग:
जांच में सामने आया कि आरोपियों ने फर्जी नामों से 40 से अधिक कंपनियां बना रखी थीं, जिनका इस्तेमाल ठगी की रकम को सफेद करने और अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था। आरोपी भोले-भाले लोगों को कंपनी खोलने के नाम पर बहला-फुसलाकर उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग करते थे।
अब तक की रिकवरी:
- ₹43 लाख की ठगी की रकम विभिन्न खातों से होल्ड कर दी गई है।
- अन्य खातों की जांच जारी है।
- आरोपियों के बैंक खातों को सीज करने, फर्जी कंपनियों की संपत्ति जब्त करने और उनके डिजिटल नेटवर्क को ट्रेस करने की प्रक्रिया भी जारी है।
पुलिस का बयान:
रायपुर पुलिस अधीक्षक (साइबर) ने बताया कि यह गिरोह बेहद सुनियोजित तरीके से देशभर में साइबर ठगी करता था। ये आरोपी पीड़ितों को मानसिक रूप से डरा-धमकाकर उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार बनाते थे। गिरोह के अन्य सदस्यों की भी पहचान कर ली गई है और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी की जाएगी।
प्राथमिकी की धाराएं:
भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 318(4), 3(5) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
📌 मुख्य बिंदु:
- पीड़िता से दिल्ली पुलिस बनकर की गई ₹2.83 करोड़ की ठगी
- व्हाट्सएप वीडियो कॉल से किया गया ‘डिजिटल अरेस्ट’
- यूपी से 5 आरोपी गिरफ्तार, 40 से अधिक फर्जी कंपनियों का खुलासा
- ₹43 लाख की रकम फ्रीज
- फर्जी दस्तावेज, बैंक खाते, सिम और मोबाइल जब्त
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