आयोग में मानव तस्करी से जुड़ा मामला सुना गया. जांच का दिया गया आदेश*

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छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण श्रीमती सरला कोसरिया, श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती ओजस्वी मंडावी एवं दीपिका शोरी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न संबंधित शिकायतों की सुनवाई की।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति की मृत्यु आगजनी में हुई थी। जिसके बाद वह अपने 02 बच्चों के पालन-पोषण व जीवन-यापन के लिये संघर्षरत् है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक पक्ष सुलहनामे के लिए तैयार है। अनावेदक पक्ष आवेदिका को उसके जीवन यापन और रोजगार के लिये उसके पति का सामान और राशि आदि देने के लिये तैयार है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक सहमति जताते हुए आवेदिका को 10 किलो चांदी एवं 1 दुकान की व्यवस्था करेगा। जिससे आवेदिका अपनी ईच्छा से व्यापार कर सकेगी। इस प्रकरण को निगरानी हेतु रखा गया। दोनो पक्षों की सहमति पर प्रकरण समाप्ता किया जावेगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदकगणों ने उसकी पुत्री को अवैध रूप से अपने घर में रख रखा है। आवेदिका की बेटी 22 वर्ष की है जिसके लिए अनावेदकगणों ने यह बात फैलायी है कि उसकी बेटी समलैंगिक है और आवेदिका को अपनी बेटी से मिलने से भी रोक लगा रखा है। आवेदिका की शिकायत गंभीर प्रकृति की है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदगणों के घर में 6-7 महीने में जवान लड़किया आती है फिर कहा जाती है इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है।

आयोग ने कहा कि आवेदिका की शिकायत को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है क्योंकि यह मामला मानव तस्करी से जुड़ा प्रतीत होता है। ऐसी स्थिति में अनावेदकगणो की पुलिस द्वारा जांच कराया जाना आवश्यक है। आवेदिका की पुत्री को सखी प्रशासिका रायपुर के सुपूर्द कर निर्देश दिया गया कि वह आवेदिका की पुत्री का मेडिकल प्रशिक्षण करावाकर रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करेंगे साथ ही आवेदिका की पुत्री को सुरक्षा की दृष्टि से नारी निकेतन रखा जायेगा क्योकि वह अपनी मां के साथ घर जाने को तैयार नहीं है जवान लडकी को असुरक्षित नहीं छोडा जा सकता है। आवेदिका स्वयं भी सुरक्षा की दृष्टि से अपनी बेटी को नारी निकेतन में रखवाना चाहती है। आयोग ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर साइबर थाने से इसकी जांच करवायी जायेगी ताकि स्पष्ट हो सके कि अनावेदकगण क्या वास्तव में जवान लडकियों को आश्रय देकर अवैध कारोबार तो नहीं कर रहे है। इसकी जांच पुलिस के माध्यम से करवायी जायेगी।अन्य एक प्रकरण में आवेदिका ने शिकायत दर्ज करवायी है

कि आवेदिका का पति जो शासकीय सेवा में शिक्षक के पद पर कार्यरत् है और आये दिन शराब पीकर मारपीट करता है व आवेदिका का चरित्रहनन करता है। अनावेदक शासकीय स्कूल पूर्व माध्यमिक शाला बलौदाबाजार में कार्यरत् है। उसे 72 हजार रू. मासिक वेतन प्राप्त होता है। अनावेदक ने आवेदिका को मारपीट कर घर से निकाल दिया है और कोई भरण-पोषण आवेदिका को नहीं देता है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक आवेदिका को प्रतिमाह 15 हजार रू. भरण-पोषण देने के लिए तैयार हुआ। दोनो पक्ष सुलहनामे के लिए तैयार हुए। प्रकरण की निगरानी आयोग के काउंसलर द्वारा की जावेगी।

आज के एक प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि आवेदिका के पति ने आवेदिका से बिना तलाक लिए दूसरा विवाह कर लिया है। आवेदिका व अनावेदक (पति) की तीन बेटिया है। अनावेदक के दूसरे विवाह से भी उसके दो बच्चे एक पुत्र व एक पुत्री है। वर्तमान में अनावेदक पूर्व माध्यमिक शाला, उसलापुर में शिक्षक एल.बी. के पद पर कार्यरत् है। उसे 18 वर्ष की सेवा में 50 हजार रू. मासिक वेतन प्राप्त होता है।आयोग के समक्ष अनावेदक (पति) से पूछे जाने पर उसने साफ इकार कर दिया और अपने दूसरी पत्नी के बच्चों को भी पहचानने से इंकार कर दिया, लेकिन दूसरी महिला के बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में अनावेदक का नाम दर्ज होने से यह स्पष्ट हो गया कि अनावेदक झूठ बोल रहा है और दूसरी महिला व संतान होने की बात को छिपा रहा है। अनावेदक (पति) शिक्षक होने के बावजूद आवेदिका से तलाक लिये बगैर 2019 से दूसरा विवाह कर रखा है। आयोग के पूछे जाने पर कि अनावेदक के सर्विस रिकॉर्ड में आवेदिका और बच्चों का नाम है या नहीं?” अनावेदक का कथन है कि नहीं मालूम मेरे सर्विस रिकॉर्ड में किसका नाम दर्ज है।” चूंकि अनावेदक सभी बातों से स्पष्ट इंकार कर रहा है, इस हेतु आयोग द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी मुंगेली, जिला कलेक्टर मुंगेली को पत्र प्रेषित कर अनावेदक के सर्विस बुक की प्रमाणित प्रतिलिपि मंगाया जायेगा। पुलिस अधीक्षक को दूसरी महिला को आगामी सुनवाई में आवश्यक रूप से उपस्थित कराये जाने का पत्र भेजा जावेगा जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके व आवेदिका को अपने व अपने बच्चों के पालन-पोषण में कोई समस्या ना हो।

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